प्रेम पीर कुछ दे जाता है | हिंदी कविता
।। प्रेम पीर कुछ दे जाता है ।।
मंद-मंद पल्लव का मरमर
भाव पुराने बिसराता है
प्रेम डगर और कुंठित मन फ़िर
ताप हृदय में दे जाता है ।
कूक-कूक कोयल मधुरित स्वर
स्वप्न सुनहरे सहलाता है
उच्छ्वास फ़िर वचन अधूरा
घाव गहन कुछ दे जाता है ।
भ्रमर-भ्रमर अलि गुंजित गायन
वफ़ा, सदाएं गोहराता है
उर तृष्णा फ़िर पसरा वेदन
अश्रु नयन में दे जाता है ।
झर-झर करता विस्मित निर्झर
व्यथा वही जो दोहराता है
आत्म द्वंद्व फ़िर प्रेयसी पीड़ा
प्रेम पीर कुछ दे जाता है ।।
--विव