आखिर क्यों | Akhir Kyon
Shrutigya Pandey
6:23 PM
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आखिर क्यों | Akhir Kyon
आखिर क्यों मैं इतना निर्लज्ज हुआ,
जो उनका प्यार भुला बैठा,
जिनकी उंगलियां पकड़ कर चलना सीखा,
लाठी मैं उनको थमा बैठा।
वो कल की ही तो बातें थी,
जब तुम मुझे खिलाकर खाते थे,
ज़िम्मेदारियों का बहाना देकर ,
तुम्हारा अथाह स्नेह भुला बैठा।
वो कल की ही तो बातें थी,
जब तुम हर सांझ मेरी राह जोहते थे,
परवाह को बंदिश समझ कर मैं,
तुमको अपशब्द सुना बैठा।
वो कल की ही तो बातें थी,
जब तुम मेरी खातिर मिट्टी के घरौंदे बनाते थे,
तुम्हारा घर तोड़कर मैं,
तुमको वनवास पठा बैठा।