पथिक तुम्हे अब बढ़ना होगा | Pathik Tumhe Ab Badhna Hoga
डगर कठिन हो कठिन चुनौती
ही चाहे गिर गिर जाये
साहस रख कर चलना होगा
पथिक तुम्हे अब बढ़ना होगा।
शूल चुभें हो इति भाल से हानि
घात चाहे शीश पे आये
हिम्मत रख कर लड़ना होगा
पथिक तुम्हे अब बढ़ना होगा।
घोर प्रलय हो दिनकर छिप जाये
जीवन मरण चक्र रुक जाये
संकट है कुछ करना होगा
पथिक तुम्हे अब बढ़ना होगा।
मृत्यु अटल हो प्रेम भी विलोप हो जाये
चेतना शून्य मनुज से पूछो
अवसान हेतु क्या करना होगा
पथिक तुम्हे अब बढ़ना होगा।।
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